“आकाश” हूँ मैं…………………………………. अनन्त अमर “आकाश” !
सागर की बेताब लहरों को मुँह चिढ़ाता अनंत “आकाश”…………………….
धरती के उपर दिगदिगंत तक फैला अनंत “आकाश”………………………….
आपके दिल की गहराइयों में बसा अमर “आकाश”………………………………
मैं हूँ आपका अपना “टाइगर” यानी “टेगी” यानी “मट्ठा” यानी “टंकी” यानी “आकाश गुसाईं”