पापा अब आपके आंसू नहीं पोंछ पाउँगा
माँ की हिचकियाँ भी मैं नहीं रोक पाउँगा
तुम से बिछड़ के मैं भी खुश नहीं हूँ
यहाँ यकीन मानो लौट के दोबारा मैं आऊंगा
बेचैन सा रहता हूँ मैं इस दुनिया में माँ बाप के बिना कैसे मैं रह पाउँगा
पापा का गुस्सा और माँ की नसीहतें ख़ुदा जाने फिर कभी मैं सुन पाउँगा
पापा के कंधे और माँ की गोदी में क्या फिर कभी जिंदगी में बैठ पाउँगा
पापा मुझे माफ़ करना माँ को समझाना बेटे का फ़र्ज़ निभाने माँ की कोख में आऊंगा
(PAPA – S. Gusain)